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पारसमणि
सद्गुरु ने कथा का रहस्य स्पष्ट करते हुए कहा"प्रत्येक मानव को शरीर रूपी पारस मरिण मिली है। इससे सभी कष्ट मिटाए जा सकते हैं, आनन्द को प्राप्त किया जा सकता है । पर मूढतावश मानव इस पारस मणि पर भिखारी की तरह भोगों को चटनी पीस रहा है।
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