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फूल और पराग मेरे सामने झूठी सफाई पेश कर रहा है, उसने उसे फटकारते हुए कहा-"क्यों रे ! तू मेरे सामने भी झूठ बोलता है ? मेरे से भो सत्य-तथ्य छिपाना चाहता है, देख वह झौंपड़ी में क्या पड़ा है, क्या तू उसके महत्त्व को नहीं जानता ?"
योगी की बात सुनते ही भिखमंगा तो स्तम्भित हो गया ? उसे समझ में नहीं आया कि एक पहुँचा हुआ योगो इस तुच्छ वस्तु को भी नहीं जानता। वह खिलखिलाकर हंस पड़ा, “क्या प्रभो ! आप इसी के आधार पर मुझे धनवान् कह रहे थे, क्या इसो के आधार पर मुझे लाखों की दरिद्रता मिटाने वाला बता रहे थे। यह तो सिलबट्टा है। मैं इसका उपयोग चटनी पीसने के लिए करता हूँ। भोख मांग कर सूखे लूखे टुकड़े लाता है। वे ऐसे नहीं खाये जाते, उनको खाने के लिए चटनी तैयार करता हूँ, आपको इसमें क्या सोना दिखलाई दिया ?"
योगी को भिखमंगे की अज्ञता पर तरस आ गई। उसने मधुर शब्दों में कहा--"वत्स ! तुम्हारी झोपड़ी में सोना ही नहीं, सोना बनाने की अपूर्व चीज है, इससे तुम चाहो जितना सोना बना सकते हो। जिसे तुम सिलबट्टा कहते हो, वह तो पारसमणि है। तुम ना समझ हो, इसलिए इससे चटनी पोसते रहे हो। इससे तुम्हारे सम्पूर्ण दुःख मिट सकते हैं। इसका तुम सदुपयोग करो तो सम्राट से भा महान् बन सकते हो।"
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