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मृत्यु के पश्चात्
उनका चेहरा मुरझा गया, उनके अन्तर्हदय के तार वेदना से झनझना उठेखाया सो तो खो दिया,
दीधा चाला सत्थ । जसवन्त धर पोढावियाँ
माल पराये हत्थ ॥
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