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फूल और पराग
पन्ने, मारणक मोती जड़े गये हैं । ऐसी सुन्दर पोशाकें बार-बार नहीं बना करती हैं। इसे तो सुरक्षित रखना चाहिए। यदि आप इस पोशाक को पहनेंगे तो आपका चेहरा चमक उठेगा । ऐसी दुर्लभ चीज की तो रक्षा होनी चाहिए । महाराजा का शरीर अब मिट्टी बन चुका है, चाहें यह पोशाक इन्हें पहनाई जाय या न पहनायी जाय, कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है । निरर्थक ही इस बेशकीमती चीज को क्यों नष्ट की जाय । महाराजा को अन्य दूसरी सुन्दर पोशाक पहना दो जाय ।"
राजकुमार ने कहा - " मंत्रीवर । तुम्हारी बात बहुत अच्छी है, मुझे भी यही जंचता है ।" वह पोशाक अत्यन्त सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दी गई। राजा को दूसरी पोशाक पहना दी गई। राजकुमार और मंत्री की बात अन्य किसी को भी ज्ञात न हो सकी ।
महाराजा को जमीन पर लिटा दिया गया। सीढ़ी पर लिटाने की तैयारी चल रही थी । महाराजा के श्वास निरोध का तीन घण्टे का समय पूर्ण हो चुका था । समय पूर्ण होते ही धीरे से शरीर में स्पंदन हुआ । हृदय की गति धीरे धीरे चलने लगी । शरीर के अंग संचालन को देखकर सभी का हृदय प्रसन्नता से नाच उठा, महाराजा ने आँख खोली और वे उठ बैठे ।
बैठते ही उनकी सर्व प्रथम दृष्टि अपनी पोशाक पर गई। उन्होंने देखा, मृत्यु की पोशाक बदल चुकी है ।
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