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________________ धूर्त की अमानत १५ महाराज श्रेणिक ने अभयकुमार को न्याय करने के लिए आदेश दिया । अभयकुमार ने धूर्त को संकेत करते हुए कहा - " मैं जानता हूँ कि सेठ अमानत का बहुत बड़ा व्यापारी है । इसके पास हजारों प्रकार की वस्तुएं अमानत में आती हैं, कहीं वे इधर-उधर न हो जायें अतः सभी वस्तुओं पर मालिक के नाम की चिट्टियां लगाकर रखता है । पर तुम्हारी चिट्ठी गुम हो गई है, जिससे तुम्हारी कौन सी वस्तु है यह पहचानने में दिक्कत हो रही है ।" धूर्त ने कहा - " मंत्रीवर ! इसमें दिक्कत की बात नहीं है, सत्य तो यह है कि सेठ की नियत ही बिगड़ गई है I अभयकुमार - " सेठ के पास हजारों आँखें हैं उनमें से तुम्हारी कौन-सी है यह तो पहचाननी होगी ?" धूर्त - "आप चाहें जो करें, मुझे तो अपनी आंख मिलनी चाहिए। बिना एक आँख के मेरा चेहरा कितना विकृत हो गया है, लोग मुझे एकाक्षी कहकर उपहास करते हैं ।" अभयकुमार –"हाँ, तुम्हारा कथन पूर्ण सत्य है । मैं भी यही चाहता हूँ कि तुम्हें अपनी आँख मिलनी चाहिए, किन्तु उसके लिए तुम्हें एक कार्य करना होगा ।" धूर्त - "हाँ तो शीघ्र बताइए वह कौन-सा कार्य है ?" अभयकुमार - "तुम्हारी जो यह दूसरी आँख है वह निकालकर सेठ को दे दो, जिससे वह तुम्हारी पुरानी Jain Education Internationa For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003196
Book TitleFool aur Parag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1970
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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