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बड़ा बनने का मूल मंत्र है । मेरे पास डाक्टर और दवाई के लिए पैसा नहीं है. इसीलिए गाडी का माल बेचने बाजार जा रहा हूँ ."
युवक ने वृद्ध के हाथ को झटका देते हुए कहा"तुम्हारा लड़का कल मरता हो तो आज मरे, मुझे उसकी चिन्ता नहीं है, मैं इस समय बड़ा आदमी बनने के लिए जा रहा हूँ। मझे बिल्कुल ही समय नहीं है, में अपने वह मूल्य वस्त्र कीचड़ से खराब नहीं कर सकता।" बूढा गिड़गिड़ाता रहा, युवक आगे बढ़ गया। युवक कुछ आगे बढ़ा ही था कि एक अन्धी भिखारिन जोर-जोर से रो रही थी। युवक के पद-चाप को सुनकर उस ने कहा"बाबूजी ! मैं कभी से धूप में बैठी हूँ, गर्मी से मेरा जी घबरा रहा है, पेट में भयंकर दर्द हो रहा है, जरा सड़क के किनारे किसी वृक्ष की शीतल छाया में मुझे बिठादो न ! मैं तुम्हारा उपकार कभी न भूलगी।"
यूवक ने झझलाकर कहा- 'तुझे शर्म नहीं आती, कहां मैं और कहां तुम ? मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता। मुझे तो बड़ा आदमी बनना है और उसी के लिए मैं भागा जा रहा हूं।"
इस प्रकार सभी की उपेक्षा व तर्जना कर युवक महात्मा के आश्रम में पहुँचा । महात्मा को नमस्कार कर उसने कहा--- "गुरुदेव ! आज से सातवें दिन आपने मेरी नम्र प्रार्थना को सन्मान देकर कहा था कि मैं तुझे बड़ा आदमो बनने का उपाय बताऊंगा. ऐसा मंत्र दूंगा जिससे तू वड़ा आदमी बन जायेगा। गुरुदेव ! एतदर्थ ही आपके
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