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|| बड़ा बनने का मूल मंत्र
मध्याह्न का समय था। चिलचिलाती धूप में सड़क पर खड़ी एक मजदूरन राहगिरों से कह रही थी ''श्रीमान् ! जरा घास के इस गट्टर को मेरे सिर पर रखवा दो न ? मेरे घर पर बच्चे भूख से छट-पटा रहे हैं, मुझे शीघ्र ही घर जाना है, उन बच्चों की सुध-बुध लेने के लिए।"
सड़क पर तेजगति से बढ़ते हुए एक युवक ने कहा"बहिन ! मैं तुम्हारी मदद अवश्य करता, किन्तु इस समय मुझे बिल्कुल समय नहीं है। मुझे बड़ा आदमी बनना है । बड़ा आदमी बनने के लिए ही इस समय मैं जा रहा हूँ।" ___मजदूरन हाथ जोड़कर प्रार्थना करती रही, किन्तु युवक आगे बढ़ गया । युवक कुछ कदम आगे बढ़ा । एक बूढा गाड़ी वाला सड़क पर खड़ा था। उसने युवक के रास्ते को रोकते हुए कहा-"मेरी गाड़ी कीचड़ में फंस गई है, जरा तुम सहारा दे दो तो वह निकल जायेगी। मुझे गाड़ी का माल बेचकर शीघ्र ही डाक्टर को लेकर घर जाना है, क्यों कि मेरा इकलौता लड़का बहुत बीमार
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