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| प्रतिभा की प्रतिभा
राजा क्षितिप्रतिष्ठित के पास एक मोर था, वह बड़ा ही मनोहर था। राजा जब भी भोजन करने बैठता तब प्रथम उसे भोजन कराता, क्योंकि विष-मिश्रित भोजन कर वह नाचने लगता, विष का उस पर साधारण रूप से असर नहीं होता।
राजमहल के पास ही प्रवीण श्रेष्ठी का मकान था । प्रवीण की पत्नी प्रतिभा गर्भवती हुई। उसे मयूर मांस खाने की प्रबल इच्छा हुई। राजा का मोर घूमता हुआ वहां आया, और प्रतिभा ने उसे मार कर अपनी दोहृद इच्छा पूर्ण की।
भोजन का समय हुआ, पर मोर महल में तलाश करने पर भी नहीं मिला, तो राजा ने उसकी खोज प्रारम्भ की, पर कुछ भी अता-पता न लगा। राजा ने उसकी खोज के लिए नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो मोर को तलाश करके लायेगा उसे पुरस्कार प्रदान किया जायेगा।
एक बुढिया नाईन ने ढिंढोरा सुनकर सात दिन में Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org