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प्रतिभा भी प्रतिभा
खोज निकालने का वायदा किया। उसने सोचा मयूर राजमहल के आसपास के घरों में ही गया होगा अतः वह सर्वप्रथम प्रवीण के भव्य भवन में गई । प्रतिभा से उसने पूछा-आप गर्भवती हैं, आपको क्या दोहृद उत्पन्न हुआ। बुढ़िया नाईन की बातों को चतुराई से प्रतिभा इतनी प्रभावित हुई थी कि उसने सारा मयूर काण्ड सुना दिया।
मयूर का सही पता लगाने से बुढ़िया अत्यधिक प्रसन्न थी, वह शीघ्र ही वार्तालाप पूर्ण कर राजमहलों में गई और राजा को अभिवादन कर मयूर की कहानी को नमक मिर्च लगाकर सुनादी और पुरस्कार की प्रार्थना की।
पर राजा ने उसकी बात का प्रतिवाद करते हुए कहा-तेरी बात मिथ्या है, मैं तेरी बात स्वीकार नहीं कर सकता, प्रवीण और प्रतिभा को मैं जानता हूँ वे ऐसे नहीं हैं।
बूड़ी नाईन ने कहा--आप मेरी बात पर भले हो विश्वास न करें, पर प्रतिभा के मुंह से मैं कहला हूँ फिर तो विश्वास करेंगे न ! आप मेरे साथ चलें, मैं अपनी चतुराई से आपको सारी बात सुनवा दूंगी।
वेष परिवर्तन कर राजा प्रवीण के मकान के सहारे खड़ा हो गया। बुढिया ने मकान में प्रवेश किया और उच्च स्वर से बोलने लगी कि मेरा मन कहता है कि इस समय तुम्हारे पुत्र होगा, यदि तुम्हारे पुत्र हो तो मुझे मिठाई खिलानी पड़ेगी और पुरस्कार भी देना पड़ेगा।
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