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कलियुग का बोध
एक समय पांचों पाण्डव उद्यान में क्रीड़ा कर रहे थे। उस समय विचित्र वेष-भूषा को धारण किये हुये, एक आदमी युधिष्ठिर के सामने उपस्थिति हुआ। उसे देखकर युधिष्ठिर को बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह आदमी एक साथ ब्राह्मण और यवन के वेश को किस कारण से धारण किए हुये हैं।
उस आगन्तुक व्यक्ति ने कहा-महाराज ! मेरी निराली वेष-भूषा को देखकर आप चकित हो रहे हैं, पर आपको आश्चर्य देखना है तो अपने चारों भाइयों को चारों दिशाओं में भेजें, आपको ज्ञात होगा कि संसार में कैसी-कैसी विचित्र बातें हैं।
भीम पूर्व दिशा में गये । एक नदी कल-कल छल-छल बह रही थी, चारों ओर हरियाली लहलहा रही थी, हरी-हरी घास बढ़ी हुई थी। उन्होंने देखा एक बारह मुंह का भेसा तेजी से चर रहा है, पर उसका पेट और कमर एक सदृश हो गई है। इतना सारा घास खाने पर भी वह भूखा है। यह तो महान आश्चर्य की बात है ।
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