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कलियुग का बोध
अर्जुन को दक्षिण दिशा में भेजा गया था। उन्होंने देखा-एक तत्काल प्रसूता गाय अपनी सद्यःजाता बछड़ी के स्तनों का पान कर रही है। अपनी ही बछड़ी के स्तनों का पान करती हुई, गाय को देखकर अर्जुन चकित हो गये।
नकुल को पश्चिम दिशा में भेजा गया। वे उधर बढ़ रहे थे कि सहसा उनके पैर ठिठक गये। उन्होंने देखा-अशोक वृक्ष की शाखा पर एक पिंजरा लटक रहा है। वह पिंजरा सोने से बना हआ है और बहुमूल्य हीरे पन्ने, माणक मोती जवाहरात उसमें जड़े हुये हैं, उस पिंजरे में एक कौआ बैठा हुआ है, और राजहंस सेवक की भांति उसकी सेवा कर रहा है। ___ सहदेव को उत्तर में जाने का निर्देश किया गया था । जब वह उत्तर दिशा में अपने कदम बढ़ा रहा था। एक स्थान पर उसकी आँखे विस्मय से विस्फारित हो गई। वहां परस्पर में सटे हुये तीन कंड थे। एक मध्य में था
और दो कुण्ड उसके अगल-बगल में थे। अगल-बगल के कुण्डों में से लहरें उठती और लहरों के माध्यम से एक कुण्ड का पानी दूसरे कुण्ड में गिरता, किन्तु बीच के . कुण्ड में एक बूद भी नहीं गिरती थी।
चारों भाई युधिष्ठिर के पास पहुँचे और उन्होंने विस्तार के साथ में अपनी आश्चर्य की कथा उन्हें सुनाई।
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