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________________ श्रेष्ठ पुत्र सकता। जब वह हाथी की तरह झूमता हुआ चलता है तो देखते ही बनता है। ___ तीसरी महिला मौन होकर उन दोनों की बात सुन रही थी। दोनों ने उपहास करते हुए कहा-- बहिन ! तू चुप क्यों है ? क्या तेरा बेटा कपूत है ? उसने धीरे से कहा-मेरा बेटा बहत ही भोलाभाला है। दिन भर वह खेत में काम करता है और मेरी खूब सेवा करता है । आज वह दूसरे गाँव चला गया था इसलिए मुझे पानी भरने के लिए आना पड़ा। तीनों महिलाएं अपने-अपने घड़े सिर पर रख कर घर की ओर चलने लगीं। तभी दूसरी सड़क से पहली महिला को अपना प्यारा पुत्र आता दिखाई दिया। माँ रुक गई। उसने सन्निकट आकर कहामाँ ! आज मुझे अभी कितना अच्छा शकुन हुआ है। घर जाते समय भरे हुए कुभ का मिलना अत्यन्त शुभ है। लगता है आज खूब धन की वर्षा होगी। और उसने अपने कदम तेजी से घर की ओर बढ़ा दिये। दूसरी महिला को भी दूसरी सड़क से अपना पहलवान पुत्र आता हुआ दिखाई दिया। उसने अपनी सहेलियों से कहा-देखो, वह गजराज की गति से Jain Education InteFoatinate & Personal usev@ņainelibrary.org
SR No.003194
Book TitleGagar me Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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