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________________ : ३१ : श्रेष्ठ पुत्र तीन महिलायें पनघट पर पानी भर रही थीं । वे तीनों अपने प्यारे पुत्रों की प्रशंसा कर आनन्दित हो रही थीं । एक महिला ने कहा- बहिन ! मेरा पुत्र बारह वर्ष काशी में अध्ययन कर घर आया है । उसकी विद्वत्ता से गाँव के सारे सुज्ञजन प्रभावित हैं । वह ऐसा मुहूर्त निकालता है कि उसी क्षण कार्य हो जाता है । उसे आकाश के तारे, धरती के फल-फूल सभी के नाम स्मरण हैं । स्वर्ग और नरक की उसे जानकारी है । दूसरी महिला ने कहा- - मेरे पुत्र की तू बात सुनेगी तो चकित रह जायेगी । वह पहलवान है । सुबह उठकर पाँचसौ दण्ड-बैठक लगाना उसके लिये बहुत ही सरल कार्य है । जब वह अखाड़े में उतरता है तो बड़े से बड़ा पहलवान भी उसके सामने टिक नहीं : ५८ : Jain Education Internationalte & Personal Usev@rjainelibrary.org
SR No.003194
Book TitleGagar me Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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