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रिश्वत नहीं लूंगा
गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में श्री हरिलाल सीतलभाई नाम के एक उच्च पदाधिकारी थे। वे प्रातः अपने मकान के बाहर घूमते हुए सुनहरी धूप का आनन्द ले रहे थे। उसी समय एक सेठ ने एक लाख रुपये की थैली उनके सामने रखते हुए कहालीजिए यह मेरी तुच्छ भेंट, आप अपना निर्णय मेरे पक्ष में दीजियेगा। मैं आपका उपकार जीवन भर विस्मृत नहीं होऊँगा।
श्री सीतलभाई ने कहा- श्रीमान् ! मैं कैसी भी परिस्थिति में सत्य के विपरीत निर्णय नहीं कर सकता । मुझे जो बात सत्य प्रतीत होगी मैं उसी पक्ष में अपना निर्णय दंगा। मैं आपसे सनम्र निवेदन करता हूँ कि भविष्य में आप इस प्रकार का दुःसाहस कभी भी न करें।
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