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आत्म-ज्ञान
___ एक शिष्य के अन्तर्मानस में विचार उद्भूत हुआ कि गुरुदेव बहुत ही वृद्ध हैं, उनकी सेवा में पहुंचकर मुझे आत्म-ज्ञान की कला प्राप्त करनी चाहिए। वह आश्रम में पहुँचा। गुरु शिष्य को देखकर आनन्द विभोर हो उठे। उसने एक दिन समय देखकर गुरुदेव से आत्म-ज्ञान के लिए प्रार्थना की। गुरु एक पहुँचे हए योगी थे । शिष्य की प्रार्थना पर गुरु कूछ मुस्कराये,
और उसकी ओर कुछ क्षणों तक देखते रहे किन्तु शिष्य गुरु के हार्द को न समझ सका। कुछ समय के पश्चात् गुरु अपनी कुटिया में चले गये और वह भी अपने स्थान पर चला गया। ___ वह प्रतिदिन गुरु के सामने अपनी प्रार्थना को दुहराता और गुरु उसकी ओर देखकर मुस्करा देते । शिष्य निराश हो जाता कि गुरु मुझे आत्मज्ञान क्यों नहीं बताते हैं। एक दिन शिष्य ने पुनः प्रार्थना की कि मैं Jain Education Interpatronate & Personal UbavDjainelibrary.org