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अत्याचार क्यों?
नानक-मुझे शीघ्रता नहीं है। जब आप कयामत के दिन खुदा के दरबार में उपस्थित होवेंगे उस दिन इन्हें भी साथ लेते आवें, उस समय मैं इन्हें ले लूंगा। . खलीफा-आप यह क्या फरमा रहे हैं ? क्या कयामत के दिन कोई वस्तु साथ ले जाई जा सकेगी? यह तो बहुत ही तुच्छ वस्तु है ।
__ गुरु नानक- खलीफा साहव ! आपका कहना पूर्ण सत्य है कि कयामत के दिन कोई भी वस्तु साथ में नहीं ले जा सकते। उस दिन तो खाली हाथ खुदा के सामने उपस्थित होना होता है और स्वयं की करनी का फल प्रस्तुत करना होता है। पर मुझे आश्चर्य है कि प्रजा को त्रस्त कर आप जो विराट वैभव एकत्रित कर रहे हैं क्या उसे भी आप यहीं पर छोड़ जायेंगे ? जब आप अपना विराट वैभव साथ में लायेंगे तो मेरे कंकड़ भी साथ में लेते आना।
खलीफा को अपनी भूल भरी करनी का ध्यान आ गया। भविष्य में उसने अपना जीवन सुधार लिया और बाद में कभी भी अत्याचार नहीं किया।
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