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मित्र के लिए त्याग
बंगाल के नदिया ग्राम में एक सुन्दर विद्यालय था। उस विद्यालय में से जितने भी विद्यार्थी तैयार हुए उन्होंने उस विद्यालय के नाम को रोशन कर दिया। उस विद्यालय में रघनाथ और निमाई दो परम मेधावी छात्र पढ़ते थे। दोनों ने न्यायदर्शन का तलस्पर्शी अध्ययन किया। दोनों छात्रों में अपार स्नेह था।
उन छात्रों की तेजस्वी प्रतिभा को देखकर विद्यालय के प्राचार्य ने उन दोनों को आदेश देते हुए कहातुम दोनों न्याय पर पृथक्-पृथक् ग्रन्थ लिखो। जिसका ग्रन्थ सर्वोत्कृष्ट होगा उस लेखक का अत्यधिक सन्मान किया जायेगा, और उसके ग्रन्थ को पाठ्यक्रम में भी नियुक्त किया जाएगा।
प्राचार्य के आदेश को शिरोधार्य कर दोनों छात्र ग्रन्थ-लेखन में जुट गये । रात-दिन श्रम कर दोनों ने
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