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________________ गागर में सागर स्वयं उठा, और अपने सन्निकट उसे सम्मान सहित बिठाया । श्रेष्ठियों ने जब राजा के द्वारा कलाकार को सन्मान देखा तो वे चकित हो गये । २२ दूसरे दिन प्रातः जब कलाकार अपनी झौंपड़ी से बाहर निकला तो सभी श्रेष्ठियों ने उस कलाकार को घेर लिया और बोले - हम तो तुम्हें बहुत ही साधारण आदमी समझ रहे थे, किन्तु हमें तो कल ज्ञात हुआ कि तुम्हें तो राजा भी सम्मान देते हैं । तुमने यह बात हमें पहले क्यों नहीं बताई ? कलाकार ने मुस्कराते हुए कहा - यह बताने जैसी विशेष बात नहीं थी । जो लोग कला के मर्म को समझते हैं वे मुझे नमस्कार करते हैं और जो नहीं समझते हैं उन्हें मैं नमस्कार करता हूँ । श्रेष्ठियों के पास कलाकार के उत्तर का कोई प्रत्युत्तर नहीं था । Jain Education Internationalte & Personal [email protected]
SR No.003194
Book TitleGagar me Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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