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कला का मर्म
एक महान कलाकार धनवानों की गगनचम्बी . अट्टालिकाओं से घिरी हुई एक नन्ही-सी झोंपड़ी में रहता था। जब भी वह उस मोहल्ले में से निकलता तब वह सभी श्रेष्ठियों को नमस्कार करता। श्रेष्ठी लोग परस्पर वार्तालाप करते-बेचारा यह कलाकार कितना गरीब है ? हम सभी को प्रतिदिन नमस्कार करता है।
एक दिन नगर के सभी श्रेष्ठियों को राजदरबार में आमन्त्रण मिला। वे सभी सुन्दर वस्त्राभूषणों से सुसज्जित होकर राजदरबार में पहुँचे। राजकर्मचारियों ने उनका भव्य स्वागत किया। वे सभी गर्व से फूले नहीं समा रहे थे कि हमारा कितना सन्मान किया गया है।
कुछ समय के पश्चात् वह गरीब कलाकार भी राजदरबार में पहुँचा। कलाकार को देखते ही राजा
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