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गागर में सागर
आध्यात्मिक साधना करने लगे। नौ वर्ष तक निरन्तर उसी स्थान पर बैठकर जप व ध्यान की साधना की और विशिष्ट ज्ञान की उपलब्धि होने पर लोगों के अत्याग्रह से वे मक्का गये और जीवन के अन्तिम क्षण उन्होंने वहां पर व्यतीत किये । उनका अभिमत था कि अमीरी और धन-दौलत में शैतान का निवास है और गरोबो व फकीरी में फरिश्ते का, जो खुदा के दरबार में पहुँचाते हैं । जो माया से नाता तोड़ता है वही खुदा को पाता है।
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