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परमात्मा के दर्शन
इब्राहीम आदम बलख के अत्यन्त सादगीप्रिय, धर्मनिष्ठ बादशाह थे । वे प्रतिपल प्रतिक्षण परमात्मा की अन्वेषणा में लगे रहते थे। उनके महल के द्वार प्रजा के लिए हर समय खुले रहते थे । उनके पास कोई भी व्यक्ति बिना किसी भी संकोच के पहुँच सकता था। किसी के लिए इन्कारी नहीं थी । महल एक पहाड़ी पर बना हुआ था ।
ये एक बार रात्रि में सो रहे थे । उन्हें महल में किसी के पैर की आहट सुनाई दी। वे चौंककर उठ बैठे । उन्होंने अंधेरे में देखा कि एक मानवाकृति उनके पास आ रही है । इब्राहीम ने पूछा- आप कौन हैं ? और इस प्रकार आपका आगमन किस कारण से हुआ है ?
मानवाकृति ने कहा- - मैं आपका ही मित्र हूँ,
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