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बैल और गधा
एक सेठ के घर दो पण्डित पहुंचे। सेठ ने स्नेह से सत्कार कर उन्हें भोजन का आमन्त्रण दिया। पण्डितों के अन्तर्मानस की परीक्षा करने के लिए सेठ ने हाथ धुलाने के बहाने एक पण्डित को दूर ले जाकर पूछा-पण्डितजी ! मुझे तो आपके साथ वाले पण्डित प्रबल प्रतिभा के धनी ज्ञात होते हैं, साथ ही स्वभाव से भी अत्यन्त सज्जन प्रतीत होते हैं।
अपने साथी की प्रशंसा सुनकर वह पण्डित ईर्ष्याग्नि से जल उठा। उसने मुह की विचित्र भावभंगिमा करते हुए कहा-सेठजी ! आपका अनुमान मिथ्या है, वह तो मेरे साथ आ गया है पर वह पण्डित नहीं, निरा बेवकूफ है। मैं सच कहता हूँ कि उसमें और बैल में कोई भी फर्क नहीं है।
सेठ ने इसी प्रकार दूसरे पण्डित की भी परीक्षा के लिए उसे भी कहा । दूसरे पण्डित ने कहा-अरे
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