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न्यायपरायणता
हजरत उमर न्याय-नीतिपरायण व्यक्ति थे। वे प्रजा पर शासन करते हुए भी अपने आपको प्रजा का सेवक समझते थे।
एक दिन उनके पुत्र ने कहा-पिताजो ! मेरी कमीज बिलकुल ही फट चुकी है। उन्होंने पुत्र की ओर देखते कहा-वत्स ! मैं देख रहा हूँ तुम्हारी कमीज जीर्ण-शोर्ण हो चुकी है, पर इस समय तो मेरे पास कुछ भी नहीं है। अगले माह इसकी व्यवस्था करने का प्रयत्न करूंगा।
खलीफा उमर सरकारी खजाने से जीवन निर्वाह के लिए केवल' बीस रुपये लेते थे और उन बीस रुपयों में से भी वे गरीबों को उदारता से दान दिया करते थे। जब वे बीस रुपये लेकर घर की ओर आ रहे थे मार्ग
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