________________
सेठ को बुद्धिमानी
१३५
सेठ ने मुस्कराते हुए कहा-भाई, मेरा कोई अता-पता नहीं है। जब भी जहाँ भी नींद आ जाती है वहीं सो जाता हूँ। कभी घर में सोता हूँ कभी दुकान में । कभी सोता भी, कभी नहीं भी सोता हूँ। ..
चोर समझ गया कि सेठ बड़ा चतुर है। कहीं मुझे कारागृह में न डलवा दे, अतः वह नौ दो ग्यारह हो गयो।
Jain Education Interpatronate & Personal Usev@rainelibrary.org