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________________ : ६६ : सेठ की बुद्धिमानी एक गाँव में बहुत ही बुद्धिमान एक सेठ रहता था । सेठ के पास लाखों की सम्पत्ति थी । सेठ जानता था कि सोना जीवन को खोना है। किसी को भी पता नहीं वह कहाँ सोता है ? एक तस्कर उसके घर में चोरी करना चाहता था । वह चाहता था कि सेठ के सोने का पता लग जाय तो घर में अच्छी तरह से चोरी की जा सकेगी । किन्तु उसे कुछ भी पता न लगा । अन्त में वह ग्राहक के रूप में सेठ की दुकान पर पहुँचा । माल खरीदने के पश्चात् उसने सेठ से पूछा – सेठजी ! कभी रात में भी मुझे माल खरीदना पड़े तो बताइए आप कहाँ सोते हैं ? सेठ ने अपनी पैनी दृष्टि से उसे देखा । उसकी भावभंगिमा से समझ गया कि यह ग्राहक नहीं, चोर है । --- : १३४ : Jain Education Internationalte & Personal Usev@rjainelibrary.org
SR No.003194
Book TitleGagar me Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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