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समझ का फेर
दो सन्त - एक पूर्व से आ रहा था और दूसरा पश्चिम से । वे दोनों सड़क के चौराहे पर परस्पर मिल गये । सन्निकट आते ही पूर्व से आने वाले सन्त ने फूँक मारी तो पश्चिम से आने वाले सन्त ने अपने पैर का पंजा उसकी ओर बढ़ा दिया। दोनों सन्त अपने लक्ष्य की ओर बढ़ गये। दोनों ही सन्तों के भक्तों में एक संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई और संघर्ष यहाँ तक पहुँचा कि एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये । दोनों ही सन्त जो एकाकी बढ़े चले जा रहे थे, वे कोलाहल सुनकर पुनः उल्टे पैरों उस स्थान पर आये । सन्तों ने पूछा- आप लोग क्यों लड़ रहे हैं ?
एक सन्त के भक्तों ने कहा- आपने फूंक मारकर हमारे गुरु को उड़ाने की धमकी दी। दूसरे सन्त के भक्तों ने कहा- आपने हमारे गुरु का अपमान किया
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