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नींव का पत्थर
सन् १९२८ और १९२६ की बात है । श्री लालबहादुर शास्त्री 'सर्वेट्स आफ पीपुल्स सोसाइटी' के सदस्य के रूप में प्रयाग के सार्वजनिक जीवन के मंच पर आए थे। वे अपने कार्य का प्रचार व प्रसार समाचार-पत्रों के माध्यम से करना नहीं चाहते थे । एक दिन उनके स्नेही मित्रों ने उनसे पूछा-आप समाचार-पत्रों में नाम छपने से इतने क्यों घबराते हैं ?
शास्त्रीजी ने मुस्कराते हुए कहा-घबराने का तो कोई प्रश्न ही नहीं है। लेकिन मुझे लालालाजपतराय ने प्रस्तुत कार्य करने की प्रेरणा देते हुए कहा थालालबहादुर ! ताजमहल के अन्दर दो प्रकार के पत्थरों का उपयोग हुआ है। एक श्रेष्ठ किस्म का संगमरमर है जिसके द्वारा मेहराब और गुम्बज का निर्माण हुआ
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