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गागर में सागर
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है । संसार उसकी प्रशंसा करता हुआ नहीं अघाता है । दूसरे वे पत्थर हैं जो नींव के अन्दर के हैं जिनकी कोई प्रशंसा नहीं करता, पर उनके बिना मेहराब और गुम्बद टिक नहीं सकते। मेरा तुम्हें सूचन है कि मेहराब और गुम्बद न बनकर नींव के पत्थर बनना । अतः मैं नींव का पत्थर बनकर रहना चाहता हूँ ।
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