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श्रमण संस्कृति : सिद्धान्त और साधना
शोधार्थियों द्वारा जैन सिद्धांतों पर तथा उनसे सम्बन्धित विषयों पर शोध प्रबन्ध तैयार किए गए हैं, आगे भी तैयार किए जा रहे हैं। इनके अतिरिक्त अन्य लेखकों, संपादकों एवं पत्रकारों द्वारा जैन साहित्य पर व्यापक रूप से साहित्य सर्जना की जा रही है । _ आधुनिक जेन मुनिराजों में जिनके नाम महत्त्वपूर्ण हैं, वे निम्न हैं :
१. राष्ट्रसंत कविरत्न उपाध्याय अमरमुनि--आप अधुनायुग के समन्वयवादी एवं समीचीनतावादी विचारधारा के महान् संत हैं । आपने शताधिक पुस्तकों की रचनाएं की हैं, जिनमें 'निशोथ चूणि भाष्य', 'सूक्ति त्रिवेणी' 'चिंतन की मनोभूमि' और 'चिन्तन के मुक्तस्वर' विशेष उल्लेखनीय कृतियाँ हैं।
२. मुनि नगराज, डी. लिट्--इन्होंने 'आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन' नामक शोध प्रबन्ध तैयार किया है, जिस पर उन्हें डी. लिट. की उपाधि से सम्मानित किया गया है। इसके अतिरिक्त इनकी और भी अनेक महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं।
___ इन मुनिराजों के अतिरिक्त, आचार्य तुलसी, मुनि विद्यानंद, पं० विजयमुनि शास्त्री, देवेन्द्र मुनि शास्त्री, मुनि महेन्द्रकुमार प्रथम तथा द्वितीय, चन्दनमुनि, मुनि कन्हैयालाल 'कमल', सुशीलमुनि, हीरामुनि 'हिमकर', गणेशमुनि शास्त्री, साध्वी चन्दना, दर्शनाचार्य, साध्वी मंजुश्री, साध्वी सरलाजी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
शोध प्रबन्धकारों में सर्वश्री डा० कृष्णदत्त वाजपेयी, डा० हीरालाल जैन, डा० मोहनलाल मेहता, डा० हरीन्द्रभूषण जैन, डा० नथमल टांटिया, डा० सुदर्शनलाल, डा० अजित शुकदेव, डा० बशिष्टनारायण सिन्हा, डा. रणदवे, डा० नरेन्द्र भानावत, डा० भागचन्द्र जैन 'भास्कर', डा० भागचन्द जैन 'भागेन्दु', डा० कोमलचन्द, डा० राजकुमार जैन, डा. इन्द्रचन्द्र शास्त्री, डा० जयकिशन प्र. खंडेलवाल, डा० नेमीचन्द्र जैन, डा० सागरमल जैन प्रभृति के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं।
इनके अतिरिक्त अन्य अनेक वैसे व्यक्ति हैं जिन्होंने जैन साहित्य पर अथवा जैन धर्म संबंधी विषय पर शोध प्रबंध तैयार कर लिया
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