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गोता और श्रमण संस्कृति : एक तुलनात्मक अध्ययन
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'भगवती' है । '3 इस भगवती की शरण स्वीकार किए बिना साधक आगे नहीं बढ़ सकता। अहिंसा : बौद्ध दृष्टि में : __ अहिंसा का स्वर बौद्ध संस्कृति में इस रूप में प्रतिध्वनित होता है : ___ सभी प्राणी सुख चाहते हैं, जो अपने सुख को इच्छा से दूसरे प्राणियों की हिंसा करता है , उसे न यहाँ सुख मिलता है और न परलोक में ।'४ ___ जैसा मैं हूँ, वैसे ही ये सब प्राणी हैं, और जैसे वे सब प्राणी हैं, वैसा ही मैं हँ—इस प्रकार अपने समान सब प्राणियों को समझकर न स्वयं किसी का बध करे और न दूसरे से कराए।१५
प्रणियों की हिंसा करने वाले को अनाये कहा गया है। दयाहीन व्यक्ति शूद्र को भाँति समझा जाता है । १६
जो प्राणियों की हिंसा करता है, वह आर्य नहीं होता, सभी प्राणियों के प्रति अहिंसा भाव रखने वाला ही आर्य कहा जाता है । १७ मैत्री और स्नेह से जो प्राणियों को जीत लेता है, उसी
१३. भगवती अहिंसा....."भीयाणं विव सरणं । -प्रश्नव्याकरण० २१ १४. (क) सुखकामानि भूतानि, यो दण्डेन विहिंसति । अत्तनो सुख-मेसानो, पेच्च सो न लभते सुखं ॥
-धम्मपद १०३ (ख) सुत्तपिटक २१३ १५. यथा अहं तथा ऐते, यथा ऐते तथा अहं । अत्तानं उपमं कत्त्वा, न हनेय्य न घातये ॥
-सुत्तनिपारुत ३१३७।२७ १६. यस्स पाणे दया नत्थि, तं जञा वसलो इति ।।
---सुत्तनिपात ११७२ १७. न तेन अरियो होति, येन पाणानि हिंसति । शुहिंसा सव्वपाणान, अरियो ति पबुच्चति ॥
-धम्मपद १६।१५
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