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कमवाद-पर्यवेक्षण
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आत्माएं एक हैं, किन्तु जो भेद और विषमता है, वह कर्म के कारण से है ।२४ आत्मा पहले या कर्म :
आत्मा पहले है या कर्म पहले है ? दोनों में पहले कौन है और पीछे कौन है ? यह एक प्रश्न है । __उत्तर है-आत्मा और कर्म दोनों अनादि हैं। कर्मसंतति का आत्मा के साथ अनादि काल से सम्बन्ध है। प्रतिपल-प्रतिक्षण जीव नूतन कर्म बांधता रहता है। ऐसा कोई भी क्षण नहीं, जिस समय सांसारिक जीव कर्म नहीं बाँधता हो । इस दृष्टि से आत्मा के साथ कर्म का सम्बन्ध सादि भी कहा जा सकता है, पर कर्म-सन्तति की अपेक्षा आत्मा के साथ कर्म का सम्बन्ध अनादि है ।२५ अनादि का अन्त कैसे :
प्रश्न है-जब प्रात्मा के साथ कर्म का सम्बन्ध अनादि है तब उसका अन्त कैसे हो सकता है ? क्योंकि जो अनादि होता है उसका नाश नहीं होता।
२४. कामादिप्रभवश्चित्रं कर्मबन्धानुरूपतः ।
-प्राप्त मीमांसा--प्राचार्य समन्तभद्र २५. जो खलु संसारत्थो जीवो तत्तो दु होदि परिणामो।
परिणामादो कम्म कम्मादो होदि गदिसुगदी ॥ गदिमधिगदस्स देहो, देहादो इन्दियाणि जायन्ते । तेहि दु विसयग्गहणं तत्तो रागो व दोसो वा ।। जायदि जीवस्सेवं भावो संसारचक्कवालम्मि, इदि जिणवरेहि भणिदो अणादिणिधणो सणिधणो वा ॥
-पंचास्तिकाय--प्राचार्य कुन्दकुन्द जीव हैं कम्मु प्रणाइ जिय जणियउ कम्मु ण तेण । कम्में जीउ वि जणिउ गवि दोहिं वि आइ ण जेण ॥ एह ववहारें जीवडउ हेउ लहे विणु कम्मु । बहुविह-भावें परिणवइ तेण जि धम्मु अहम्मु ।।
-परमात्म प्रकाश ११५९६०
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