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सहावीर के सिद्धान्त
को सुख देते हैं, स्व, पर और उभय को धार्मिक अनुष्ठान में संलग्न करते हैं, अतएव उनका जागना ही श्रेष्ठ है।
जयन्ती-भगवन् ! बलवान् होना श्रेष्ठ है या दुर्बल होना ?
महावीर-कुछ जीवों का बलवान् होना श्रेष्ठ है और कुछ का दुर्बल होना।
जयन्ती-यह कैसे ?
महावीर--जो जीव अधार्मिक हैं, यावत् अधार्मिक वृत्ति वाले हैं, उनका दुर्बल होना श्रेष्ठ है। वे बलवान् होंगे तो अनेक जीवों को कष्ट देंगे । जो जीव धार्मिक हैं यावत् धार्मिक वृत्ति वाले हैं उनका बलवान् होना श्रेष्ठ हैं क्यों कि वे बलवान होने से अधिक जीवों को सुख पहुँचायेंगे
इस प्रकार अलसत्व और दक्षत्व के प्रश्न का उत्तर भी विभाग करके दिया।
गौतम-भगवन् ! आद्र गुड में कितने वर्ण हैं कितने गंध हैं कितने रस हैं और कितने स्पर्श हैं ? ___ भगवान् गौतम ! दो नय हैं-निश्चय नय और व्यवहार नय । व्यवहार नय से प्रार्द्र गुड में मधुरता है, और निश्चय नय से पाँच वर्ण हैं, दो गंध हैं, पाँच रस हैं और आठ स्पर्श हैं ।३६
गौतम-भगवन् ! म्रमर में कितने वर्ण हैं ? - भगवान्-गौतम ! व्यवहार नय की दृष्टि से भ्रमर काला है, एक
३५. ३६.
भमवली १२।२।४४३ फाणियबुले शं भन्ते ! कइवन्ने कइगन्धे कइरसे कइफासे पण्णत्त ? ___ गोयमा ! एत्थरणं दो नया भवन्ति, तं जहा निच्छइयनए य वावहारियनए य, वावहारियनयस्स गोड्डे फाणियमुले, नेच्छइयनयस्स पंचवन्ने दुगंधे पंचरसे अट्ठफासे ।
-भगवती शतक १८६
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