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धर्म का मूल : सम्यग्दर्शन
है। राख से आच्छादित अग्नि का तेज तिमिर नहीं बनता, वह ज्योतिपुञ्ज ही रहता है ।२२ मानवता का सार ज्ञान है और ज्ञान का प्राधार सम्यग्दर्शन है ।२३
कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के पास सुदर्शन चक्र था, जिससे सम्पूर्ण शत्रुओं को पराजित करके त्रिखण्ड के अधिपति बन गये। प्रात्मारूपी कृष्ण के पास भी यदि सम्यग्दर्शनरूपी सुदर्शन चक्र है तो वह भी कषाय रूपी शत्रुओं को पराजित कर एक दिन त्रिलोकीनाथ बन सकता है। ___ महापुरुषों के विचारों का यह निथरा हुआ निचोड़ है-धर्मरूपी मोती सम्यग्दर्शन रूपी सीपी में ही पनपता है ।
२२. सम्यग्दर्शनसम्पन्नमपि मातंगदेहजम् । देवा देवं विदुर्भस्म-गूढांगारान्तरौजसम् ॥
-रत्नकरण्डश्रावकाचार २८ २३. नाणं नरस्स सारं, सारो वि नाणस्स होइ सम्मत्त ।
-दर्शन पाहुड-गा० ३१
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