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धर्म और दर्शन का महत्वपूर्ण प्रकाशन प्रस्तुत करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता है ।
इस पुस्तक में श्री देवेन्द्र मुनि जी ने धर्म और दर्शन के सम्बन्ध में बहुप्रचलित भ्रान्तियाँ, और अज्ञानमूलक धारणाओं के परिष्कार के साथ ही धर्म और दर्शन की मौलिक स्थापनाओं का, उसकी विविध प्रक्रियाओं का सदसंर्भ जो शास्त्रीय विश्लेषण प्रस्तुत किया है, वह नई पीढ़ी के नये विचारशील युवकों के लिए पठनीय एवं मननीय है ।
श्री देवेन्द्र मुनि जी, शास्त्री स्थानकवासी समाज के उदीयमान साहित्यकार है । सतत अध्ययन और नवलेखन उनकी रुचि Hoby है ।
सन्मति ज्ञान पीठ अपनी विशुद्ध सांस्कृतिक परम्परा के अनुरूप मौलिक और महत्वपूर्ण प्रकाशनों को प्रस्तुत करती रही है। इससे पूर्व मुनि श्री की एक खोजपूर्ण कृति " ऋषभदेवः एक परिशीलन" भी प्रकाशित हो चुकी है । आशा है उस पुस्तक की तरह प्रस्तुत पुस्तक का भी सर्वत्र उत्साह के साथ स्वागत किया जायेगा ।
पर्युषण के अवसर पर पुस्तक सम्पन्न करने का हमारा संकल्प था । समय अत्यन्त कम था, किन्तु फिर भी कार्य यथासमय सम्पन्न हो सका, इसकी हमें अत्यन्त प्रसन्नता है ।
पुस्तक के प्रूफ संशोधन में ज्ञानपीठ के कार्यकर्त्ता श्री श्रीचन्दजी सुराना 'सरस' तथा मुद्रण में श्री विष्णु प्रेस के मालिक श्री रामनारायण जी मेड़तवाल का सहयोग सदा स्मरणीय रहेगा ।
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मन्त्री
सम्मति ज्ञान पीठ, आगरा २
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