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________________ आगमोत्तरकालीन कथा साहित्य ३७३ कवि' के रूप में थी । इनका समय १८वीं सदी का प्रथमार्धं है । इनके प्रथम नाटक का रचनाकाल १७वीं शताब्दी का अन्त, और दूसरे नाटक का रचना काल अठारहवीं शताब्दी का आरम्भ माना गया है । इसी तरह, नल्लाध्वरी ने भी, 'चित्तवृत्तिकल्याण' और जीवन्मुक्ति कल्याण' नामक दो प्रतीक नाटकों का प्रणयन किया था । नाटककार, गणपति के उपासक ये । 'जोवन्मुक्तिकल्याण' का नायक राजा जीव, अपनी प्रियतमा बुद्धि के साथ, जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति दशाओं में भ्रमण करता हुआ, संसार के दुःखों से जब विषण्ण हो जाता है और जीवन्मुक्ति की कामना करता है, तो काम-क्रोध आदि छः रिपु, उसके इस कार्य में बाधा डालते हैं । तब, वह दया, शान्ति आदि आठ आत्मगुणों के द्वारा काम आदि को ध्वस्त करता है । अन्ततः, चतुर्थ आश्रम में प्रवेश करके, साधन चतुष्टय प्राप्त करता है । और, ब्रह्म-ज्ञान पाकर जीवन्मुक्ति का लाभ उठाता है। शिव का प्रसाद और गुरु की कृपा, जीवन्मुक्ति में कितनी सहयोगी है, यह, कवि ने सुन्दरता के साथ बतलाया है । नल्लाध्वरी, आनन्दराय मखी के ही समकालिक प्रतीत होते हैं । नल्लाध्वरी ने, रामचन्द्र दीक्षित के समकालीन रामनाथ दीक्षित से विद्याध्ययन किया था, और २० वर्ष की उम्र में ही उन्होंने 'शृङ्गारसर्वस्व' (भाण) व 'सुभद्रापरिणय' (नाटक) की रचना की थी। बाद में, परमशिवेन्द्र तथा सदाशिवेन्द्र सरस्वती से वेदान्त का अध्ययन करने के बाद, उक्त दोनों नाटकों की रचना की । 'अद्वैतरसमञ्जरी' वेदान्तग्रन्थ की रचना भी इसी काल से सम्बन्ध रखती है । इनमें परस्पर श्लोक - साम्य भी है | 1 पद्मसुन्दर का 'ज्ञान- चन्द्रोदय' और अनन्तनारायण कृत 'मायाविजय' भी रूपक प्रधान रचनाएं हैं । इन्द्रहंसगणि रचित 'भुवन - भानुकेवली चरित' और यशोविजय कृत 'वैराग्यकल्पलता' भी रूपकात्मक रचनाएँ हैं । भुवनभानु केवली चरित का नायक बलि राजा है । विजयपुर के चन्द्र राजा के पास जाकर, अपना चरित वह स्वयं कहता है । विद्वानों का अनुमान है १. श्री शंकर गुरुकुल, श्रीरंगम् से प्रकाशित - १६४४ ई० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003190
Book TitleJain Katha Sahitya ki Vikas Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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