SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपने को जानना : परमात्मा को जानना है पहला सोपान : आत्मानं विद्धि 'अप्पा सो परमप्पा'-आत्मा स्वभाव से, गुणों से, धर्म से परमात्मा है; इस सिद्धान्त को प्रकट करना आसान है, किन्तु इसे क्रियान्वित करना मनुष्येतर प्राणियों के लिए तो दुर्लभतम है ही, मनुष्य के लिए भी दुर्लभ और दुष्कर है। वही व्यक्ति इसे क्रियान्वित कर सकता है, इस सिद्धान्त को अमल में ला सकता है, जो सर्वप्रथम अपने आपको भली-भाँति जान ले। यही परमात्म तत्व को जानने का सबसे पहला सोपान है। यही कारण है कि परमात्मा को जानने की पौर्वात्य और पाश्चात्य सभी दार्शनिक मनीषियों ने सर्वप्रथम एक ही शर्त रखी है 'आत्मानं विद्धि' 'Know thyself' वियाणिया अप्पगमप्पएणं अपने आपको जानो, पहवानो । १ (क) उपनिषद्, (ख) आंग्ल साहित्य (ग) दशवकालिक सूत्र अ. ६ उ. ३ गा. ११ ( ७७ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003189
Book TitleAppa so Parmappa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy