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________________ आत्मा का अस्तित्व | २६ से भिन्न चेतनावान् कोई अनन्य पदार्थ है, जिसके रहने पर ये सब काम करते हैं, न रहने पर ये अपना-अपना कार्य नहीं कर पाते । यह चेतनावान् पदार्थ ही आत्मा है । इसका स्वतन्त्र अस्तित्व है । वह जन्म से पूर्व भी था, और मृत्यु के पश्चात् भी रहता है । अर्थात् - वह भूतकाल में था, भविष्य में भी रहेगा और वर्तमान में भी है । प्रत्यक्षवादियों द्वारा भी परोक्ष का आश्रय लिए बिना छुटकारा नहीं प्रत्यक्षवादियों का यह कथन है कि आत्मा अगर प्रत्यक्ष दिखाई दे तो हमें बताओ । परन्तु आत्मा ऐसी वस्तु नहीं है जो इन चर्मवक्षुओं से या किसी इन्द्रिय से प्रत्यक्ष दिखाई नहीं जा सकती । द्रव्य दो प्रकार के होते हैं - मूर्त्त और अमूर्त्त । अमृतं द्रव्य इन्द्रियों द्वारा गाह्य नहीं होते । स्वयं भगवान महावीर ने कहा नो इन्दियगेज्झ अमुत्तभावा । अमुत्तभावा विय होइ निच्चं ॥ अर्थात्–“अमूर्त्त पदार्थ इन्द्रियों द्वारा ग्राह्य नहीं होने तथा अमूर्त पदार्थ नित्य भी होते हैं ।" जो अमूर्त द्रव्य होता है, वह अभौतिक, अपौद्गलिक होता है, उसका कोई आकार या रूप नहीं होता । उसमें वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श नहीं होते । आत्मा अमूत्तं है वह इन्द्रियों से ग्राह्य नहीं है । आँखें उसे देख नहीं सकतीं क्योंकि उसका कोई रूप या आकार नहीं होता । कान उसका शब्द सुन नहीं सकते, क्योंकि उसमें शब्द होता ही नहीं, जीभ उसका स्वाद नहीं ले सकती क्योंकि उसमें रस होता ही नहीं, और शरीर के अवयव उसका स्पर्श नहीं कर सकते क्योंकि वह स्पर्शन योग्य है ही नहीं । प्रत्यक्षवादी भी क्या सभी चीजें प्रत्यक्ष दिखाई देने पर ही उनका अस्तित्व मानते हैं ? 'विषापहार स्तोत्र" में इसी तथ्य को प्रकट किया गया है । उसका भावार्थ यह है- - अपनी वृद्धि, श्वासोच्छ्वास और पलकों के उघड़ने- बंद होने का प्रत्यक्ष अनुभव आत्मा को होता है, फिर भी १. उत्तराध्ययन सूत्र अ. १४ गा. १६ २.. स्ववृद्धि - निःश्वास- निमेषभाजि प्रत्यक्षमात्माऽनुभवेऽपि मूढः । किं चाखिल- ज्ञय-विवर्ति-बोध-स्वरूपमध्यक्ष मुपवैति लोकः || Jain Education International For Private & Personal Use Only - विषापहारस्तोत्र २२ www.jainelibrary.org
SR No.003189
Book TitleAppa so Parmappa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size18 MB
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