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परमात्मभाव से भावित आत्मा : परमात्मा | ३४६
अच्छा हो, मैं अपने राज्य के जाने-माने चित्रकला - परीक्षक, पुराने बूढ़े चित्रकार को बुलाकर इन चित्रों की परीक्षा कराऊं । वह जिसके चित्र को सर्वश्र ेष्ठ बताए, उसे पुरस्कृत करू' । राजा का आदेश पाकर बूढ़ा चित्रकार आया । राजा ने उसे वे सारे चित्र दिखा कर कहा - " इन चित्रों में सर्वश्र ेष्ठ कौन-सा चित्र है, इसका निर्णय करो ।" चित्रकार सभी चित्रों को घर ले गया । दूसरे दिन वह राज दरबार में उपस्थित हुआ । उसने राजा से कहा - 'इनमें एक भी चित्र राज्य मुद्रा में अंकित करने योग्य नहीं है । सब बेकार हैं ।' राजा ने आश्चर्यान्वित होकर कहा - "यह कैसे कहते हो ? मुझे तो वे चित्र अच्छे लगे हैं ।"
चित्रकार - " अच्छे तो हैं, लेकिन आपको तो बांग देते हुए मुर्गे का जीता-जागता चित्र चाहिए न ? वह इनमें नहीं है ।"
राजा - "तो फिर तुम वैसा जीवन्त चित्र बनाकर लाओ ।" चित्रकार - ' वैसा चित्र बनाने के लिए मुझे तीन वर्ष का समय दीजिए।” राजा ने विस्मित होकर कहा - " क्या इतना समय सिर्फ एक चित्र बनाने में लग जाएगा ?"
चित्रकार बोला- “ साधना के बिना श्रेष्ठ चित्र नहीं बन सकता । काम चलाऊ साधारण चित्र चाहें तो मैं कुछ ही क्षणों में बना दूँ ।" तीन वर्ष की मुद्दत लेकर चित्रकार अपने घर चला गया। छह महीने की प्रतीक्षा के बाद राजा ने अपने विश्वस्त सेवक को चित्रकार के यहाँ पता लगाने भेजा कि वह मुर्गे का चित्र बना रहा है या नहीं ? वहां से चित्रकार का पता लगाकर जंगल में पहुँच गया । बूढ़े चित्रकार को उसने एक बाड़े में कई मुर्गों के बीच बैठे देखा । राजसेवक ने पूछा - "चित्र बन गया या नहीं ?" चित्रकार ने कहा - " अभी नहीं बना है । उसे बनाने में अभी ढाई वर्ष और लगेंगे ।"
ढाई वर्ष बाद राजा ने फिर चित्रकार के पास सेवक भेजा, जांचपड़ताल करने के लिए और उस चित्रकार को साथ में ले आने के लिए । राजा के पास बूढ़ा चित्रकार पहुँचा तो राजा ने सीधे ही कहा"वह चित्र लाओ ।" चित्रकार ने कहा - 'वह तो अभी तक बना ही नहीं है ।' राजा - 'क्यों क्या वजह है ? तीन वर्ष पूरे हो गये हैं, अभी तक चित्र क्यों नहीं बना ?' चित्रकार बोला --आप कारण जानना चाहते हैं तो मैं बताऊँगा ।' राजा ने कहा--"क्या कारण है ? मुझे समझाओ ।" थोड़ी ही
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