________________
१४
आत्मा को परमात्मा से जोड़ती है-उपासना
उपासना का मौलिक लक्ष्य एक : पद्धतियाँ अनेक विश्व में प्रत्येक धर्म-सम्प्रदाय की उपासना-पद्धतियाँ पृथक्-पृथक् हैं, परन्तु सबका मूल स्वर अथवा मौलिक लक्ष्य तो एक हो है । उपासना पद्धति ऐसी होनी चाहिए, जो उपासक को उपास्य के निकट ले जाए अथवा आत्मा में सच्चिदानन्दस्वरूप या अनन्त-ज्ञान-दर्शन-सुख वीर्यरूपी शुद्ध परमात्मगुण या परमात्मभाव प्रगटाए। परन्तु जो व्यक्ति परमात्मा के अस्तित्व को ही मानता-जानता ही नहीं हैं, नास्तिक है, स्वच्छन्दता-परायण है, वह परमात्मा की उपासना ही नहीं करेगा। अतः सर्वप्रथम उपासना की यथार्थ उपयोगिता और सार्थकता को समझ लेना चाहिए।
उपासना की उपयोगिता
परमात्मा की उपासना मानवजीवन को परमात्मभाव के निकट पहँचाने वाली सरस पद्धति है । परमात्मा के निकट पहुँचाने का अर्थ है पूर्णता या आत्म विकास के चरम शिखर पर पहुँचना। उपासना मानव को इस सर्वोच्च शिखर पर पहुँचाने हेतु एक सरल, सरस और सुरुचिपूर्ण
( २४७ )
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org