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________________ २०० | अप्पा सो परमप्पा के प्रपंच में पड़े तो वह, ईश्वर निष्काम, कृतकृत्य एवं परिपूर्ण कहाँ रहेगा ? सृष्टि रचना से तो ईश्वर का ईश्वरत्व ही समाप्त हो जायेगा। उसकी आत्मिक ऐश्वर्य सम्पन्नता चौपट हो जाएगी। शुद्ध बुद्ध मुक्त ईश्वर कर्म और कर्मफल संयोग नहीं कराता यदि यह तर्क करें कि ईश्वर अपने लिए सृष्टि रचना कार्य नहीं करता, वह संसार के जीवों का जैसा-जैसा शुभाशुभकर्म होता है, तदनुसार फल देने, जीवों को अपने-अपने कर्मफल भुगवाने के लिए वैसा करता है। तो फिर सवाल यह होता है कि उनके मत से जब ईश्वर ही सब जीवों को अच्छे-बुरे कर्म करने को प्रेरणा देता है, तो फल उन्हें क्यों भुगवाता है ? उदाहरण के तौर पर-एक चोर ने किसी धनिक का धन चुराया । जब सभी जीवों को कर्म करने की प्रेरणा ईश्वर देता है तो चोर को भी चोरी करने की प्रेरणा ईश्वर से ही मिली न ? वह स्वयं तो कोई भी कर्म करने में स्वतन्त्र नहीं है । मान लो, उस चोर को धनिक या धन चुराने के अपराध में आजीवन कारागार की सजा मिली। यह तो निर्दोष चोर को दण्ड मिला, जो कि चौर्यकर्म की प्रेरणा करने वाले ईश्वर को मिलना चाहिए था ! चोर चौर्य-चौर्य कर्म करने में स्वतन्त्र नहीं था, वह ईश्वर की इच्छा या प्रेरणा से चोरी कर सका न ? क्या यही न्यायी ईश्वर का न्याय है कि पहले तो चोर से स्वयं चोरी करवाना, फिर स्वयं ही उसे दण्ड दिलाना? निष्कर्ष यह है कि यदि ईश्वर को संसार बनाने-बिगाड़ने की खटपट में पड़ने वाला, कर्मफल का देने वाला और जड़ पदार्थों को भी बनाने वाला मानेंगे तो संसार में जितने भी पाप, अपराध एवं भ्रष्टाचार-अनाचार आदि होते हैं, उन सबका करने कराने का दोष ईश्वर के सिर पर ही आयेगा। इसके लिए वैदिक धर्म के मूर्धन्य ग्रन्थ भगवद्गीता में स्पष्ट कहा गया है___"न कर्तृत्वं न कर्माणि लोकस्य सृजति प्रभुः । न कर्मफलसंयोग, स्वभावस्तु प्रवर्तते ॥"1 परमात्मा (ईश्वर) न तो जगत् की रचना करता है, न ही कर्म और कर्मफल का संयोग करता है । यह जड़चेतनमय जगत् अपने-अपने स्वभाव के १ भगवद्गीता अ० ५ श्लोक १४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003189
Book TitleAppa so Parmappa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size18 MB
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