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________________ परमात्मा बनने का दायित्व : आत्मा पर | १२६ "तुम अपनी आत्मा का उद्धार स्वयं (आत्मा से) ही कर सकते हो, और आत्मा का पतन (नाश) भी स्वयं कर सकते हो, क्योंकि आत्मा ही आत्मा का (अपना) बन्धु (मित्र) है, और आत्मा ही आत्मा का शत्र है । यहाँ भी श्रीकृष्णजी ने आत्मा पर ही सारा दायित्व डाला हैअपने उत्थान-पतन का, उद्धार-संहार का। यही बात भगवान् महावीर ने कही ___ अप्पा मित्तममित्तं च दुप्पट्ठिओ सुप्पट्ठिओ।'' जब तुम्हारी आत्मा शान्त, आनन्दमग्न, आत्मभाव में रत एवं संतुलित हो, तब सत्प्रवृत्ति में स्थित, तुम्हारी आत्मा तुम्हारी मित्र है, और जब वही दुष्प्रवृत्तियों में प्रवृत्त हो, तब वह तुम्हारी शत्रु है। उन्होंने आत्मा को ही भगवान् या शैतान बनने के लिए जिम्मेवार बताया है। साथ ही उन्होंने आत्मा के उत्थान-पतन, विकास-ह्रास, या सुख-दुःख, हितअहित के लिए, यहाँ तक कि बहिरात्मा या परमात्मा बनने के लिए किसी दूसरे (पर) के आश्रय-सहारे को ढूंढने तथा 'पर' को मित्र या सहायक बनाने की आवश्यकता को भी अनावश्यक बताते हुए स्पष्ट कहा पुरिसा ! तुममेव तुम मित्तं, कि बहिया मित्तमिच्छसि?? "पुरुषो (आत्माओ) ! तुम्ही तुम्हारे मित्र हो, (आत्मा से) बाहर में मित्र (सहायक) की खोज क्यों कर रहे हो ?" भ० महावीर का आध्यात्मिक विकास के लिए उड़ने का सारा गगन आत्मा ही था। आत्मा-शुद्ध आत्मा ही उनका आदर्श-उनका परमात्मा था। उन्होंने सिद्ध-परमात्मा को माना अवश्य, उनके आदर्श को दृष्टि-समक्ष रखा, परन्तु अपने लिए परमात्मा से या किसी शक्ति से सहायता की, सुख-सुविधाओं की या सहारे की याचना नहीं की। क्या परमात्मा दूसरों के सुख-दुःख का स्रष्टा नहीं बनता ? प्रश्न होता है, क्या सर्वशक्तिमान् परमात्मा जगत् के जीवों को सुखी नहीं कर सकता ? किसी को सुखी या दुखी करना तो उसके बाँये हाथ का खेल है ! वैदिक धर्म तो जगत् का स्रष्टा मानता है, परमात्मा को; फिर क्या कारण है कि वह जगत् के जीवों के सुख का स्रष्टा नहीं हो सकता ? १ उत्तराध्ययन सूत्र अ० २० गा० ३७ २ आचारांग श्रु० १ अ० ३ सूत्र ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003189
Book TitleAppa so Parmappa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size18 MB
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