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सम्यक्श्रद्धा की एक पांख : तत्वार्थश्रद्धान | ४७
को तत्व कहते हैं। उसी धर्म पर से उस पदार्थ का निश्चय किया जाता है कि वह कौन-सा तत्व है ? इसी कारण तत्व शब्द के साथ 'अर्थ' शब्द जोडा गया है, जिसका अभिप्राय है-निश्चय करना। जिस पदार्थ का निश्चय उसमें निहित धर्म से कर लिया जाता है, उस पदार्थ का स्वरूप कभी अन्यथा (विपरीत) सम्भव नहीं है । ऐसे यथार्थ (तत्वभूत) जीवादिपदार्थों का निश्चयपूर्वक श्रद्धान करना 'तत्वार्थश्रद्धान' है।
तत्त्वार्थभूत पदार्थ कौन से और कैसे ? सम्यकश्रद्धा का तत्वार्थं श्रद्धानरूप लक्षण कर देने पर भी यह शंका बनी रहती है कि तत्वभूत पदार्थ किन्हें माने जाएँ ? जिसे जो पदार्थ तत्वभूत लगे या जचे, यदि उसे वह तत्वभूत मान ले, तब तो बहुत गड़बड़ी हो जाएगी । संसार के भोगों में आसक्त मानव को ये विषयभोग ही तत्वभूत लगते हैं, चोर को परधनहरण ही तत्वरूप लगता है, एक बच्चे को मां के दूध या मिठाई पर श्रद्धा या रुचि होती है, धनलोलुप को येन-केन-प्रकारेण धन-संग्रह करने में श्रद्धा होती है, एक कामुक को कामिनी संग में तीव्र रुचि होती है । इसी प्रकार एक पोथी-पण्डित को पुस्तकों के रटने में, एक विद्यार्थी को भौतिक विद्याओं की प्राप्ति में और एक कसाई को, पशुवध करने में, एक धर्मान्ध को दूसरे धर्म वालों को भय या प्रलोभन देकर या जबरन धर्म-सम्प्रदाय-परिवर्तन कराने में श्रद्धा या रुचि होती है। क्या इन और ऐसे ही अन्य लोगों की अपनी-अपनी रुचि या श्रद्धा के अनुकूल विषयों को तत्वभूत पदार्थ माना जाएगा ? और इनके स्व-स्वमान्यतायुक्त पदार्थ को तत्वभूत मानकर उनकी उन पर श्रद्धा को क्या सम्यक् श्रद्धा या सम्यग्दर्शन कहा जाएगा? कदापि नहीं।
आप कह सकते हैं कि इन सब अल्पज्ञों के स्वच्छन्द बुद्धि से या मनमाने ये पदार्थ तत्वभूत हैं ही नहीं; फिर इन्हें तत्वभूत मानने का सवाल ही नहीं है । फिर प्रश्न उठता है कि यह तो आप कहते हैं कि हमारे द्वारा मान्य शास्त्रों या धर्मग्रन्थों में इन्हें तत्वभूत पदार्थ नहीं माने गए हैं, किन्तु जो मिथ्वात्वग्रस्त हैं, अज्ञानान्धकार में डूबे हए हैं, या जिन्हें धर्म-अधर्म. पुण्य पाप आदि का जरा भी बोध नहीं है, या जो सर्वथा नास्तिक हैं, वे ऐसा कह सकते हैं कि इसका क्या प्रमाण है कि आपके द्वारा प्रतिपादित सात या नौ तत्व ही तत्वभूत पदार्थ हैं, हमारे द्वारा कथित-स्व-स्वमतिकल्पित पदार्थ-स्वश्रद्धा रुचिविषयक पदार्थ तत्वभूत नहीं हैं ?
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