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२२० | सद्धा परम दुल्लहा मरने के बाद भी आत्मा का अस्तित्व
__मरने के बाद भी आत्मा के अस्तित्व की साक्षी में प्रेतात्माओं की हलचलें तथा पुनर्जन्म की ऐसी घटनाएँ प्रस्तुत की जा सकती हैं, जो प्रामाणिक व्यक्तियों के अनुभव में आई हैं और उन्हें झुठलाया नहीं जा सकता। पिछले कई जन्मों या कम से कम एक जन्म की ऐसी घटनाओं का स्मरण इस जन्म में जो घटना अन्य लोगों को ज्ञात नहीं थी, किसी ने उन्हें सिखापढ़ाकर नहीं सिखाया है। उन बालकों ने ऐसी अनेक घटनायें सुनाई हैं जो किसी को मालूम नहीं थीं। जमीन में गढ़ा हुआ धन बता कर निकलवाना पूर्व जन्म की स्मृति का ठोस प्रमाण है। ___आत्मा के अस्तित्व के विषय में पुनर्जन्म के ऐसे अकाट्य प्रमाण मौजूद हैं, जिनसे यह स्पष्ट सिद्ध होता है कि जीव के मरने के बाद भी उसमें जीव चेतना (आत्मा) का अस्तित्व बना रहता है । परामनोवैज्ञानिकों ने इस विषय के सैकड़ों प्रमाण एकत्र किये हैं जिनसे यह प्रमाणित होता है कि शरीर छूट जाने के बाद भी कई आत्माएँ जहाँ जाती हैं, वहाँ भी उन्हें पूर्वजन्मों की स्मृति बनी रहती है। अशिक्षा, अज्ञान और अभाव के वातावरण में संगीतज्ञ, गणितज्ञ, मेधावी और विद्वान का पैदा होना, तथा श्रेष्ठ परम्पराओं और उत्कृष्ट वातावरण वाले परिवारों में दुर्गुणी, दुराचारी सन्तान का जन्म होना, इत्यादि घटनाएँ आए दिन देखने-सुनने को मिलती हैं। जिस परिवार, समाज और देश में चारों ओर मांसाहार का सामान्य आहार अभ्यास के रूप में स्वीकृत हो, वहाँ किसी अबोध बालक के द्वारा मांस को छूने से भी इन्कार कर देना और पूर्ण सात्विक शाकाहारी भोजन पसंद करना, क्र रता के वातावरण में जन्म लेने पर भी अथाह करुणा का पाया जाना, आदि अनेक विचित्रताएँ आनुवांशिकी नहीं, पूर्वजन्मकृत होने को प्रमाणित करती हैं। इस तथ्य-सत्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि पूर्वजन्म की वे गुप्त बातें, एक अबोध बालक द्वारा प्रगट कर देना पुनर्जन्म को, तथा आत्मा के अस्तित्व को सिद्ध करती हैं। एक सच्ची घटना लीजिए
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के रसूलपुर जाटान गाँव में सन् १९५८ में उस गांव के एक लड़के 'जसवीर' की चेचक से मृत्यु हो गई। लड़के की आयु उस समय लगभग ४ वर्ष की थी। लोग अभी जसवीर के शव के पास ही बैठे थे कि जसवीर अचानक उठ बैठा। लोगों ने समझ लिया कि 'जसवीर' पुनर्जीवित हो गया है। पूरी तरह स्वस्थ हो जाने पर
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