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८८ | सद्धा परम दुल्लहा हैं । हिप्पीवाद इसी नीरस, निरर्थक और निराश, निरंकुश जीवन का ज्वलन्त उदाहरण है । अभी तो इसका प्रारम्भ है । यह अनास्था (विकृत आस्था) जितनी तीव्र होगी जिन्दगी उतनी ही अधिक निरर्थक, निरुद्देश्य एवं नीरस प्रतीत होती जाएगी। पश्चिमी देशों के डाक्टरी पत्र ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में ऐसे अनास्थाशील व्यक्तियों में पागलपन, अर्धविक्षिप्तता, सनक एवं अनिद्रा, मानसिक तनाव आदि रोग अधिक पाये जाने का उलेख है। ऐसे लोग को भीतरी उद्वग को दवाने हेतु शराब पीये बिना चैन नहीं पड़ता। यह है आस्था-विकार का कच्चा चिट्ठा। अच्छा-बुरा व्यक्तित्व आस्था क्षेत्र की निकृष्टता और उत्कृष्टता पर निर्भर
___ मनुष्य जीवन उसकी आस्थाओं से प्रेरित होकर बढ़ता है। यदि आस्थाएँ निकृष्ट हुई तो व्यक्ति अधोगामी प्रवृत्तियों में जकड़ा रहेगा। स्पष्ट है कि आस्थाओं के अनुरूप ही जीवन क्रम निश्चित होता है । मनुष्य भला-बुरा जो कुछ भी करता है, उसकी मूल प्रेरणा उसे अपनी आस्थाओं से मिलती है । उदाहरण के तौर पर, यदि आस्था कामुकता को सरस और सुखप्रद स्वीकार कर चुकती है तो मन और बुद्धि उसी दिशा में अवसरों का अन्वेषण करने लगेंगे, मस्तिष्क में उसकी प्राप्ति के लिए उधेड़-बुन चलती रहेगी। पैर भी उधर ही गति करने लगेंगे जिधर उसकी प्राप्ति की आशा और सम्भावना प्रतीत होगी । आँखें और अन्य इन्द्रियों या शरीर के अवयव उसी दिशा में दौड़ लगायेंगे। अर्थात् समग्र शरीर तंत्र और अन्तःकरण का संस्थान अपनी क्षमता को उसी प्रयोजन में लगाने लगेगा। इसके विपरीत यदि आस्था क्षेत्र (अन्तरात्मा) में कामुकता को अहितकर एवं दुःखदायक होना मान्य कर लिया होगा और उस पर अरुचि एवं घृणा की मनः स्थिति बन गई होगी तो समग्र शरीर तंत्र और अन्तःकरण संस्थान का प्रवाह उसी दिशा में बहने लगेगा। बुद्धि उधर के अवसरों को तलाश नहीं करेगी। मन उधर चलेगा भी नहीं । इन्द्रियों से वैसी चेष्टाएं करने की आशंका भी नहीं रहेगी। हाथ-पैर, आँख-कान आदि उस दिशा में गति नहीं करेंगे । यही बात अन्यान्य प्रवृत्तियों के सम्बन्ध में भी है। एक वाक्य में कहें तो आस्था ही व्यक्तित्व का दूसरा नाम है। आस्थाएँ ही आदतें बन कर परिपक्व हो जाती हैं तो उन्हें ही स्वभाव कहा जाता है। व्यक्तित्व की उत्कृष्टता और निकृष्टता का स्तर आस्था की निकृष्टता और उत्कृष्टता पर निर्भर है। महान आत्माओं का निर्माण : उत्कृष्ट आस्था से
प्रायः लोग आदर्शवादिता की डोंग हाँकते हैं । परन्तु अवसर मिलते
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