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________________ ६४ | सद्धा परम दुल्लहा वह श्रमणत्व को कैसे प्राप्त कर सकता है ? दुःसंकल्प के वशीभूत साधक पद-पद पर विषाद पाता है । सदसंकल्प के लिए दोषनिवारण आवश्यक अतः सत्संकल्प के लिए अपने अन्तरात्मा में बरबस प्रविष्ट होने वाले दोषों, दुर्गुणों, कुटेवों आदि को दूर करना अत्यन्त जरूरी है । उसके लिए दोषों पर विजयी बनने का संकल्प ही प्रधान रूप से सहायक होता है । विजयी बनने का संकल्प निश्चयात्मक विश्वास और साहस से बनता है । ऐसा संकल्प मुख्य रूप से साहस की भित्ति पर ही स्थिर रहता है । सत्संकल्प का मूल : आत्मविश्वास , 'अगर मुझे अमुक सुविधाएँ मिलतीं तो मैं ऐसा करता इस प्रकार को कपोल कल्पनाएँ करने वाले आत्मविश्वासहीन हैं। ऐसे व्यक्ति दृढ़संकल्प कर ही नहीं सकते । भाग्य कहीं दूसरे के सहारे विकसित नहीं होता । विजययात्रा मनुष्य अपने पैरों से ही करता है, तभी सफल होता है । दूसरे का आलम्बन लेने पर पराधीनता आती है, संकल्पबल शिथिल हो जाता है, समझौता करना पड़ता है । अतः संकल्प का दूसरा रूप ही है - आत्मविश्वास | वह जागृत हो जायेगा तो मनुष्य अपना विकास तेजी से कर सकेगा । मनुष्य के भीतर जो महान चेतना कार्य कर रही है उसकी शक्ति अनन्त है, उसी का आश्रय ग्रहण कर लें तो उसका प्रत्यक्ष आत्मविश्वास जग जायेगा । 1 संकल्प की दृढ़ता एवं अडिगता आत्मविश्वास से ही बढ़ती है । उसी से धर्मसंघ, समाज और राष्ट्र की समस्त प्रतिकुलताएँ दूर होती हैं । उसी में संकल्पसम्पन्न व्यक्ति की विजय निश्चित है | असफलता के कारण : संकल्प की निर्बलतादि जो लोग अवरोधों की आशंका को बढ़ा-चढ़ाकर देखते हैं, और केवल कठिनाइयों का ही हिसाब रखते हैं, उनकी सारी शक्ति उधेड़बुन में ही नष्ट हो जाती है । निराशात्मक चित्र खींचने में ही उनकी सारी कल्पनाएँ और मनसूबे ठप्प हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति यह जानते ही नहीं, या उन्हें विश्वास ही नहीं कि अदम्य साहस, और उत्कट संकल्प में कितना बल है । कई व्यक्ति संकल्प तो करते हैं, परन्तु उस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए संकल्प के साथ जितनी निष्ठा, बहादुरी और हिम्मत की जरूरत थी, वह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003188
Book TitleSaddha Param Dullaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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