SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 212
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संकल्पशक्ति के चमत्कार [ ६१ होगी तो साधनों का अभाव खटकेगा भी नहीं । अंग्रेजी में एक कहावत है ___ God helps those, who help themselves' ईश्वर उनकी मदद करता है, जो अपनी मदद स्वयं करते हैं । इसका तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति दृढ़संकल्प के साथ आगे बढ़ता है, उसे ईश्वरीय सहायता स्वयं मिलने लगती है । उसकी आत्मा में स्वतः परमात्म शक्ति का प्रादुर्भाव होने लगता है । उसका प्रबल संकल्प पहाड़ों एवं नदियों-समुद्रों को भी रास्ता देने के लिए बाध्य कर देता है । ___ स्वामी रामतीर्थ जब हिमालय की गोद में अपनी आत्मशक्ति को प्रबल संकल्पबल के सहारे विकसित करने के लिए एकाकी घूम रहे थे, तब हिमालय की बर्फीली चट्टानों को आदेश देते थे- “ओ हिमालय की बर्फीली चट्टानो ! शाहंशाह राम तुम्हें आदेश देता है कि उसके मार्ग से हट जाओ। रास्ता दे दो।" और सचमुच ही वे चट्टानें पिघलकर स्वामी रामतीर्थ को रास्ता दे देती थीं। वास्तव में, संकल्प में सूर्यरश्मियों का तेज है, वह जागृत चेतना का शृंगार है, विजय का हेतु और सफलता का जनक है। संकल्पसम्पन्न व्यक्ति स्वल्प साधनों से भी अधिकतम विकास कर सकता है और मस्ती का जीवन जी सकता है। साधन और सहयोग भी मिल जाते हैं दृढ़तापूर्वक अभीष्ट पथ पर चलते रहने का अडिग संकल्प जिसमें होगा, वह चाहे अमीर हो या गरीब, छोटा बालक हो या युवक या प्रौढ़ हो, उसके प्रबल प्रयत्न को देखकर उसे अनेक सहयोगी भी मिल जाते हैं और साधनों की पूर्ति भी हो जाती है। ... महात्मा गाँधी ने जब स्वतन्त्रता-सग्राम के लिए आन्दोलन किया, तब प्रारम्भ में वे अकेले ही अफ्रीका में थे, किन्तु दृढ़ संकल्प के साथ पुरुषार्थ किया, ब्रिटिश सरकार के द्वारा पहले उन्हें अनेक प्रकार के कष्ट सहन करने पड़े, उनके अपने ही कुछ भारतीय साथी उनके साथ असहमत हो गये, किंतु बाद में उनके संकल्प की सत्यता और तदनुसार सत्प्रयत्न को देखकर सभी भारतीय उनके सहयोगो बन गये । फिर उन्होंने भारत में आकर काँग्रेस के माध्यम से आन्दोलन किया, सत्याग्रह किया, जेल में गये, अनेक बार उनके सत्संकल्प की कसौटी हई, जिसमें वे खरे उतरे । फलतः अन्त में, उनके माध्यम से भारतवर्ष को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई। अंग्रेजों को झुकना पड़ा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003188
Book TitleSaddha Param Dullaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy