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प्रथम अध्याय
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गृहस्थ-जीवन
महापुरुषों का देश ___ भारतवर्ष महापुरुषों का देश है, इस विषय में संसार का कोई भी देश या राष्ट्र भारतवर्ष की तुलना नहीं कर सकता। यह अवतारों की जन्मभूमि है, सन्तों की पुण्यभूमि है, वीरों की कर्मभूमि है, और विचारकों की प्रचार-भूमि है। यहाँ अनेक नररत्न, समाजरत्न एवं राष्ट्ररत्न पैदा हुए हैं, जिन्होंने मानव मन की सूखी धरणी पर स्नेह की सरस सरिता प्रवाहित की। जन-जीवन में अभिनव जागृति का संचार किया। जन-मन में संयम और तप की ज्योति जगाई । अपने पवित्र चरित्र के द्वारा और तपः पूत वाणी के द्वारा, कर्तव्य मार्ग में जूझने की अमर प्रेरणा दी।
युग-पुरुष
गगन-मण्डल में विचरती हुई विद्युत तरंगों को पकड़ कर जैसे बेतार का तार उन विद्युत्तरंगों को भाषित रूप देता है, अव्यक्त वाणी को व्यक्त करता है, वैसे ही समाज में या राष्ट्र में जो विचारधाराएँ चलती हैं, उन्हें प्रत्येक विचारक अनुभव तो करता है किन्तु अनुभूति की तीव्रता के अभाव में अभिव्यक्त नहीं कर सकता। युग-पुरुष की अनुभूति तीव्र होती है और अभिव्यक्ति भी तीब्र होती है। वह जनता जनार्दन की अव्यक्त विचारधारात्रों को बेतार के तार की भाँति मुखरित ही नहीं करता बल्कि उसे नूतन स्वरूप प्रदान करता है। उनकी विमल-वाणी में युग की समस्याओं का समाधान निहित होता है। उसके कर्म में युग का कर्म क्रियाशील होता है और उसके चिन्तन में युग का चिन्तन चमकता है । युग-पुरुष अपने युग का सफल प्रतिनिधित्व करता है। जन-जन के मन का
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