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ऋषभदेव : एक परिशीलन
श्री दामनन्दी के मतानुसार उनके पिता का नाम "वज्रदन्त" और माता का नाम "लक्ष्मीमती" था।६५
एक बार "श्रीमती" महल की छत पर धूम रही थी कि उसी समय सन्निकटवर्ती उद्यान में एक मुनि को केवल ज्ञान उत्पन्न हना। केवल महोत्सव करने हेतु देवगण आकाशमार्ग से आ-जा रहे थे ।६६ आकाश मार्ग से जाते हुए देवसमूह को निहार कर श्रीमती को पूर्वभव की स्मृति उबुद्ध हुई, उसने उस स्मृति को एक पट्ट पर चित्रित
(ख) नामतः श्रीमती ख्याता रूपविद्याकलागुणः
-पुराणसार २६।१।६ ६५. ......"तस्याः पतिरभून्नाम्ना बज्रदन्तो महीपतिः ।।
महापुराण श्लो० ५८। पर्व ६, पृ० १२४ लक्ष्मीरिवास्य कान्ताङ्गी लक्ष्मीमतिरभूत्प्रिया ॥
-वही श्लो० ५६ प० ६, पृ० १२४ तयोः पुत्री बभूवासौ विश्रु ता श्रीमतीति या ।
-वही श्लो० ६० पर्व० ६, पृ० १२४ (ख) पुराण सार संग्रह २५।१।६।। ६६. (क) ततो मनोरमोद्याने सुस्थितस्य महामुनेः । उत्पन्ने केवलज्ञाने ददर्शाऽऽगच्छतः सुरान् ।।
--त्रिषष्ठि १।११६३३ (ख) तदेतदभवत्तस्याः संविधानकमीदृशम् ।
यशोधरगुरोस्तस्मिन् पुरे कैवल्यसंभवे ।। मनोहराख्यमुद्यानम्, अध्यासीनं तमचितुम् । देवाः सम्प्रापुरारूढविमानाः सह सम्पदा ।
-महापुराण श्लो० ८५-८६, पर्व ६। पृ० १२७ ६७. दृष्टपूर्व मया क्वेदमित्यूहापोहकारिणी। जन्मान्तरागि पूर्वाणि निशास्वप्नमिवाऽस्मरत् ॥
-त्रिषष्ठि १।१।६३४ (ख) देवागमे क्षणात्तस्याः प्राग्जन्मस्मृतिराश्वमूत् ।
-महापुराण श्लो० ६१, पर्व ६ । पृ० १२७ (ग) पुराणसार संग्रह २६-२७-११६
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