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८२ पंचामृत
परेशान होने की आवश्यकता न थी । क्योंकि कलेजा तो तुम्हारे पास भी था ।
यह सुनते ही नारद का सिर लज्जा से झुक गया । उन्हें यह समझते विलम्ब न लगा कि प्रस्तुत प्रसंग विष्णु ने उनकी परीक्षा के लिए ही रचा था । और उन्हें यह भी मालूम हो गया कि भगवान के भक्तों की सूची में उनका नाम क्यों नहीं है ।
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