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भक्त की परीक्षा
- देवर्षि नारद विश्व में परिभ्रमण करते हुए विष्णु के पास पहुंचे। उन्होंने विष्णु को नमस्कार कर कहा-भगवन् ! मैं आपका सबसे बड़ा भक्त हूँ। आज मैंने भक्तों की सूची देखी, उसमें मेरा नाम नहीं था। इसे देखकर मुझे बहुत ही आश्चर्य हुआ।
विष्णु मुस्कराने लगे। उन्होंने उस समय कोई उत्तर नहीं दिया। उत्तर न मिलने से नारद जी निराश हो गये और वहाँ से चल पड़े।
कुछ दिनों के पश्चात् नारदजी घूमते-घामते पुनः विष्णु के दर्शन हेतु पहुँचे। उस समय विष्णु अपने बिस्तर पर पड़े हुए छटपटा रहे थे। उनकी अपार वेदना को देखकर नारद के पाँव वहीं ठिठक गये। उन्होंने कहा- भगवन् ! मैं आपके कष्ट को देख नहीं सकता। आप मुझे उपाय बताइए जिससे मैं आपश्री की उदरव्यथा को नष्ट करने का प्रयास कर सकूँ। . विष्णु ने कहा-मेरे उदर की व्यथा की उपशांति हेतु एक ही उपाय है और वह यह है कि जो सच्चा
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